टेटगामा गांव में डायन बताकर पांच लोगों की नृशंस हत्या

टेटगामा गांव में डायन बताकर पांच लोगों की नृशंस हत्या
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पटना 11 जुलाई 2025

पूर्णिया जिला के रजीगंज पंचायत अंतर्गत टेटगामा गांव में 6 जुलाई 2025 की रात लगभग 9 से 10 बजे के बीच अंधविश्वास के नाम पर हुई सामूहिक हत्या की घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। डायन-ओझा के आरोप लगाकर एक ही परिवार के पांच लोगों को पहले बेरहमी से पीटा गया और फिर जिंदा जलाकर मार डाला गया।

घटना की गंभीरता को देखते हुए भाकपा-माले पूर्णिया जिला कमेटी ने 10 जुलाई को एक पांच सदस्यीय जांच दल गठित किया। जांच दल में कां. सुलेखा देवी (राज्य कार्यकारिणी सदस्य, ऐपवा), कां. संगीता देवी, कां. सीता देवी (जिला कार्यकर्ता, ऐपवा), कां. इस्लाम उद्दीन और कां. मोख्तार (जिला नेता, भाकपा-माले) शामिल थे। जांच दल ने घटनास्थल का दौरा कर पीड़ित परिवार व ग्रामीणों से बातचीत की और तथ्यों की जांच की।

जांच में सामने आए मुख्य तथ्य:
मृतकों में शामिल हैं:
कातो देवी, पत्नी स्व. सीताराम उरांव, उम्र 75 वर्ष
बाबूलाल उरांव, पुत्र स्व. सीताराम उरांव, उम्र 55 वर्ष
सीता देवी, पत्नी बाबूलाल उरांव
मंजीत उरांव, पुत्र बाबूलाल उरांव, उम्र 25 वर्ष
रानी देवी, पत्नी मंजीत उरांव, उम्र 23 वर्ष

घटना की पृष्ठभूमि में अंधविश्वास से जुड़ी मानसिकता रही।
घटना से कुछ दिन पहले मृतक परिवार के एक 10 वर्षीय बच्चे की बीमारी से मौत हुई थी। उसी दिन कथित रूप से गांव में यह कहा गया कि “इन लोगों को अब मारकर फेंकना पड़ेगा।”
इसके बाद 6 जुलाई को एक अन्य लड़के को पेट दर्द होने पर मृतक परिवार की महिला पर डायन होने का आरोप लगाया गया, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी।

मुख्य आरोपित:
रामदेव उरांव
छोटुआ उरांव
नकुल उरांव
संतलाल उरांव
केशव उरांव
(सभी टेटगामा गांव निवासी)

इन लोगों ने भीड़ के साथ मिलकर पांचों को जिंदा जला दिया और शवों को गायब कर दिया गया। बाद में पुलिस द्वारा खोजी कुत्ते की मदद से तीन शव बरामद किए गए।

मृतक कातो देवी के चार बेटे अभी जीवित हैं: खुबीलाल उरांव, अर्जुन उरांव, जितेंद्र उरांव और जगदीश उरांव। उन्होंने बताया कि घटना के बाद से पूरा परिवार दहशत में है और लगातार धमकियां दी जा रही हैं: “अगर गवाही दोगे तो तुम्हें भी जिंदा जला देंगे।”

भाकपा-माले की मांगें:
इस जनसंहार में शामिल सभी अपराधियों को तत्काल गिरफ्तार कर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
बचे हुए परिजनों को सुरक्षा प्रदान की जाए, विशेषकर चश्मदीद गवाह सोनू उरांव की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए तथा सोनू उरांव को सुरक्षित स्थान पर पक्का मकान उपलब्ध कराया जाए।
इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए डायन कुप्रथा विरोधी कड़ा कानून बनाया जाए।
सरकार गांव में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल जैसी बुनियादी सुविधाएं तत्काल मुहैया कराए।
अंधविश्वास के खिलाफ राज्यस्तरीय जागरूकता अभियान चलाया जाए।

जांच दल ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह घटना केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि संगठित हिंसा और सामाजिक अन्याय का परिणाम है। आज़ादी के 78 वर्षों बाद भी टेटगामा जैसे गांवों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है, और अंधविश्वास के नाम पर दलित-आदिवासी समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है।

भाकपा-माले मांग करती है कि राज्य सरकार इस घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित न्याय और ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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