प्रदीप कुमार की सफलता की कहानी एक प्रेरणा-कक्षा से परमाणु ऊर्जा विभाग तक
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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
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प्रदीप कुमार का जन्म 10 जनवरी 2003 को बिहार राज्य के एक छोटे से गांव में हुआ। उनके पिता, कुलेश्वर मांझी, एक मेहनती और ईमानदार व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपने बेटे को कठिन परिश्रम और ईमानदारी के साथ जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। प्रदीप ने 2020 से 2022 तक गया के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) में ‘मशीनिस्ट’ ट्रेड में प्रशिक्षण लिया। यहां उन्होंने तकनीकी कौशल में दक्षता प्राप्त की और अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की।
पेशेवर यात्रा
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प्रदीप की मेहनत और समर्पण ने उन्हें भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) के तहत आने वाले ‘बोर्ड ऑफ रेडिएशन एंड आइसोटोप टेक्नोलॉजी’ (BRIT), मुंबई में ‘स्टाइपेंडियरी ट्रेनी कैटेगरी-2’ के पद पर चयनित होने का अवसर प्रदान किया। यह पद उन्हें परमाणु ऊर्जा और रेडियेशन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य करने का अवसर देता है, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
* प्रेरणा का स्रोत
प्रदीप कुमार की कहानी यह सिद्ध करती है कि कठिनाइयों के बावजूद, यदि व्यक्ति में लगन, मेहनत और सही मार्गदर्शन हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उनकी सफलता न केवल उनके परिवार के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है।
“कड़ी मेहनत और ईमानदारी से किया गया कार्य कभी व्यर्थ नहीं जाता।”
प्रदीप कुमार की सफलता की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से हम किसी भी ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।