बिहार में अपराधियों का गुंडाराज: डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह
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दिल्ली. शनिवार, 05 जुलाई, 2025
बीते रात बिहार के प्रतिष्ठित व्यवसायी और चैंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष गोपाल खेमका, कल जब रात को 11:00 बजे घर लौट रहे थे, तो उनको दुर्दांत अपराधियों ने घर के बाहर जैसे ही गाड़ी से उतरे उनका कत्लेआम करने का काम किया। शांति सद्भाव ज्ञान तप की स्थली बिहार में गुंडों द्वारा गोलियों की आग उगली जा रही है । ADG लॉ एंड ऑर्डर कहते हुए सुनाई देते है कि पुलिस पर बढ़ते हुए हमले चिंता का विषय है, दूसरी और ADG लॉ एंड ऑर्डर की मौजूदगी में बिहार के राजधानी पटना में बोरिंग कैनाल रोड दिनदहाड़े 8 राउंड फायरिंग करते है। दूसरी ओर मुख्य मंत्री और नेता प्रतिपक्ष के आवास के नजदीक अपराधी दिन दहाड़े फ़ायरिंग करते है। ये बातें कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य राज्यसभा सांसद और बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कही।
राज्यसभा सांसद डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि बिहार में नाबालिग बच्चियों के साथ लगातार बलात्कार होता है , गैंग वार होता है, पुलिस वालों को सरे राह मौत के घाट उतार दिया जाता है । अकेले पटना में इसी साल 116 हत्या , 41 बलात्कार हुए है तो सोचिए पूरे बिहार का क्या हाल होगा ।
बीते वर्षों पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी आंकड़ों में खुलासा, 151 दिनों में पुलिस पर 1297 बार हमले ।
NCRB आँकड़ों से सामने आए सच्चाई के तथ्य (2006–2022):
. वर्ष 2005 में जहाँ बिहार में कुल अपराध 1,07,664 हुए थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 3,47,835 हो गई — यानी 323% की वृद्धि।
बिहार में हत्या के मामलों में राज्य उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूसरे स्थान पर है। नीतिश शासन के 17 वर्षों में 53,150 हत्याएं दर्ज की गईं।
हत्या के प्रयास के मामलों में भी बिहार देश में दूसरे नंबर पर है। कुल 98,169 घटनाएं हुईं, जो 262% की वृद्धि दर्शाती हैं।
] बिहार में जघन्य अपराध — जैसे हत्या, बलात्कार, पहरण, फिरौती, डकैती — 206% बढ़े। 17 वर्षों में ऐसे 5,59,413 मामले दर्ज किए गए।
5. महिला अपराधों में 336% की वृद्धि हुई है। कुल 2,21,729 महिलाएं अपराधों का शिकार बनीं। इनमें से 1,17,947 मामले आज भी अदालतों में लंबित हैं, और लंबित मामलों की दर 98.2% है।
महिलाओं के अपहरण में 1,097% की भयावह वृद्धि हुई है।
बच्चों के विरुद्ध अपराधों में 7,062% की चौंकानेवाली वृद्धि दर्ज हुई है। कुल 62,830 मासूम इस दौर में अपराध के शिकार बने।
. दलित उत्पीड़न के मामले में बिहार उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर है।