पटना 10 जुन 2025
बिहार प्रदेश जद (यू) के माननीय अध्यक्ष श्री उमेश सिंह कुशवाहा ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सियासी लाभ के लिए आपराधिक सरगनाओं को संरक्षण देने वाले अब अपराध पर प्रवचन दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाने से पहले राजद सुप्रीमो को अपने अंतरात्मा में झाँककर स्वयं से प्रश्न करना चाहिए, और साथ ही बिहार को जंगलराज की आग में झोंकने के अपने गुनाहों के लिए उन्हें सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगनी चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि लालू-राबड़ी शासनकाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी दयनीय थी कि अधिकांश आपराधिक घटनाएं दर्ज ही नहीं होती थीं, क्योंकि अपराधियों को सत्ता का खुला संरक्षण प्राप्त था। पूरा शासन-प्रशासन अपराधियों की ढाल बनकर काम कर रहा था और आम जनता को न्याय की उम्मीद छोड़कर खौफ के साये में जीने को मजबूर कर दिया गया था।
जंगलराज के उस दौर में बिहार की आम जनता के लिए अपने जान-माल की रक्षा का एकमात्र रास्ता पलायन बन चुका था। फिरौती और रंगदारी के खौफ ने प्रदेश को निवेश-विहीन बना दिया था। लेकिन वर्ष 2005 के बाद हालात तेजी से बदले। जो महिलाएं कल तक अपराधियों के आतंक से चारदीवारी में कैद थीं, आज वे पुलिस चौकियों की कमान संभाल रही हैं। साथ ही, देश-विदेश के निवेशक बिहार में उद्योग स्थापित कर रहे हैं। यह परिवर्तन माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार की मजबूत इच्छाशक्ति और कानून-व्यवस्था में सुधार के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजद सुप्रीमो भले ही अपने शासनकाल के काले अतीत को भूलना चाहें, लेकिन बिहार की वह मां जिसने जातीय नरसंहारों में अपना बेटा खोया, वह बहन जिसने अपना भाई खोया, वे उस अमानवीय दौर को कभी भूल नहीं सकतीं। राजद सरकार के कार्यकाल में हुए 119 जातीय नरसंहार आज भी बिहार की आत्मा पर हरे जख्म की तरह दर्ज हैं।